तू देखती है क्यों चाँद को छुप छुप कर,
देख ले खुद को मेरे आँखों में जी भरकर।
आज तुझे तो देख चाँद भी शरमाएगा,
बिन पर्दा ना जा, ये घटा बाहर फिर कैसे आएगा।
छोर दो ज़िद अपनी, अब तो मेरे करीब तू आ जा,
मिला साथ तुम्हारा, मेरे बाहों में तू समां जा।
तेरे ख्वाबों से अपनी मैं शाम सजाता हूँ,
हर कागज पे तेरा नाम, हर बार लिख जाता हूँ।